“अशोक शेरा (Ashok Shera) – बाड़मेर के छोटे से गांव से निकलकर राजस्थान के सबसे विश्वसनीय और जनप्रिय पत्रकार बनने तक का प्रेरणादायक सफर। जानिए उनकी जीवन यात्रा, सामाजिक योगदान और क्यों वे कहलाते हैं सोशल मीडिया के बादशाह।” अशोक शेरा केवल एक नाम नहीं, एक विचारधारा हैं — सच्चाई, ईमानदारी और मानवता की विचारधारा। उनके कामों से ना केवल पत्रकारिता को गरिमा मिली है, बल्कि समाज के वंचित वर्गों को आवाज़ भी मिली है।हमें गर्व है कि अशोक शेरा जैसे लोग आज भी इस समाज में मौजूद हैं, जो बिना किसी स्वार्थ के लोगों के लिए काम करते हैं।
🌟 अशोक शेरा(Ashok Shera): सच्चाई और इंसानियत की मिसाल
📰 “कौन है अशोक शेरा ?” — एक नाम जो बन चुका है जन-जन की आवाज़
✍️ परिचय
राजस्थान की भूमि ने हमेशा बहादुर और निडर लोगों को जन्म दिया है, लेकिन कुछ ऐसे नाम हैं जो समाज की सोच और दिशा दोनों को बदल देते हैं। अशोक शेरा (Ashok Shera)उन्हीं में से एक हैं — एक ऐसा नाम, जो अन्याय के सामने डटकर खड़ा होता है, जो आवाज़ उठाता है उन लोगों के लिए, जो खुद अपनी आवाज़ नहीं उठा पाते। एक ईमानदार पत्रकार, एक संवेदनशील इंसान और सच्चाई का सिपाही — यही है अशोक शेरा की असली पहचान।
🏡 शुरुआती जीवन और गांव से शुरुआत
बाड़मेर जिले के छोटे से गांव ‘आदी’ से ताल्लुक रखने वाले अशोक शेरा ने अपनी यात्रा वहीं से शुरू की। गांव की सादगी, कठिन परिस्थितियाँ, और सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने सपने देखे और उन्हें सच करने की ठानी। साल 2017 में उन्होंने पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखा और तब से आज तक वे पीछे मुड़कर नहीं देखे।
आज “आदी गांव” की पहचान सिर्फ एक गांव के रूप में नहीं, बल्कि अशोक शेरा (Ashok Shera) के नाम से भी होती है।
📸 पत्रकारिता की दुनिया में अशोक शेरा की पहचान
अशोक शेरा आज केवल एक पत्रकार नहीं हैं, वे राजस्थान की पत्रकारिता की आत्मा बन चुके हैं। वे उन चंद पत्रकारों में से हैं जिन्होंने सोशल मीडिया को जनसेवा का माध्यम बनाया।
सोशल मीडिया का सिकंदर: आज राजस्थान में शायद ही कोई पत्रकार हो जिनकी सोशल मीडिया पर उतनी फॉलोइंग हो जितनी अशोक शेरा की है।
जन-जागरण और अभियान: उन्होंने सोशल मीडिया को मात्र खबरें फैलाने का माध्यम नहीं, बल्कि समस्याओं के समाधान के रूप में इस्तेमाल किया है।
🫂 जनसेवा और मानवता की मिसाल
पत्रकार होने से परे, अशोक शेरा एक सच्चे समाजसेवी हैं। उन्होंने समाज के उन हिस्सों में राहत पहुँचाई है जहाँ कोई उम्मीद तक नहीं थी:
अब तक 90 से 100 गरीब परिवारों को 10 से 15 करोड़ रुपये तक का आर्थिक सहयोग दिलवा चुके हैं।
सैकड़ों लापता लोगों को खोजने और उन्हें उनके परिवारों से मिलाने का अभियान चलाया।
मानसिक रोगियों के इलाज और पुनर्वास के लिए अभियान चलाया और उन्हें चिकित्सा सुविधा दिलवाई।
गरीब और वंचित बालिकाओं की शिक्षा में मदद कर उन्हें आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई।
💔 मालपुरा की घटना: जब अशोक बने सच्चे ‘भाई’
राजस्थान के मालपुरा की वह दर्दनाक घटना कौन भूल सकता है जहाँ एक ही परिवार के माता-पिता और इकलौते भाई की मौत हो गई थी, और पीछे रह गईं सात बहनें?
अशोक शेरा ने उस वक्त सामने आकर एक सच्चे भाई की भूमिका निभाई।
₹3 करोड़ की सहायता राशि जुटाकर उन बहनों के भविष्य की नींव रखी।
हाल ही में उनमें से दो बहनों की शादी करवाई, और भावनात्मक व सामाजिक समर्थन भी दिया।
इस कार्य ने न केवल अशोक शेरा को जननायक बना दिया, बल्कि उन्हें एक संवेदनशील इंसान और सच्चे कर्मवीर के रूप में भी स्थापित किया।
🏆 सम्मान और पहचान
अशोक शेरा (Ashok Shera) को उनकी सेवा और कार्यों के लिए कई बार सम्मानित किया गया है:
जिला प्रशासन द्वारा कई अवसरों पर सम्मान
अनेक सामाजिक संस्थाओं और NGOs द्वारा मान्यता
जनमानस में ‘जनता का पत्रकार’ के रूप में प्रतिष्ठा
🧭 क्यों ज़रूरी हैं अशोक शेरा जैसे लोग?
आज के समय में, जब पत्रकारिता में भरोसा टूट रहा है, ऐसे में अशोक शेरा(Ashok Shera) जैसे व्यक्तित्व उम्मीद की एक किरण हैं। वे यह दिखाते हैं कि पत्रकारिता केवल ख़बर दिखाने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज को बदलने का साधन भी बन सकती है।
वे ना सिर्फ सवाल उठाते हैं, बल्कि समाधान भी ढूंढते हैं।
✅ निष्कर्ष
अशोक शेरा (Ashok Shera)केवल एक नाम नहीं, एक विचारधारा हैं — सच्चाई, ईमानदारी और मानवता की विचारधारा। उनके कामों से ना केवल पत्रकारिता को गरिमा मिली है, बल्कि समाज के वंचित वर्गों को आवाज़ भी मिली है।
हमें गर्व है कि अशोक शेरा जैसे लोग आज भी इस समाज में मौजूद हैं, जो बिना किसी स्वार्थ के लोगों के लिए काम करते हैं।