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Toggleईनाणा गांव के लोग अपने सरनेम की जगह गांव का नाम लिखते हैं। (Inana Village)
आज हम आपको ऐसी जगह से बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर जाती, धर्म , और उच्च- नीचे किसी प्रकार की कोई लड़ाई- झगड़ा नहीं है वो जगह इन चीजों से बहुत ऊपर है। वहां इन सब का कोई मतलब नहीं है।
राजस्थान के इस खास गांव (Inana Village) ने इंसानियत कैसी होनी चाहिए, इसकी मिसाल पेश की है. राजस्थान के नागौर जिले में स्थित इनाना गांव (Inana Village)ने सांप्रदायिक विभाजन को पार कर लिया है। इस क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण वर्षों से एक ही उपनाम का उपयोग कर रहे हैं।
Inana Village-यहां पर न कोई ठेका है और न ही कोई गुटखा, पान मसाले की कोई दुकान है।
जहां (Inana Village) के लोग अपने सरनेम की जगह गांव का नाम लिखते हैं।(ईनाणियां) वो चाहे किसी जाति का हो या किसी धर्म का हो। यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों रहते हैं।
यहां के लोग बताते हैं कि हम अपने गांव का नाम इसलिए लगाते है, जिससे हमारे बीच सद्भाव बना रहे।
इसके अलावा यहां पर न कोई ठेका है और न ही कोई गुटखा, पान मसाले की कोई दुकान है। यहां हिंदू- मुस्लिम एक साथ मिलकर एक समाज की तरह रहते हैं।
Inana Village- इनाना गांव में डीजे भी है बैन ?
इस गांव (Inana Village) में डीजे भी बैन है। यहां सालों से कोई डिजे नहीं बजा । लोगों का कहना है कि डिजे की आवाज से बेजुबान जानवरो को परेशानी होती है।
डीजे बंद : 20 साल से बंद है। न शादी में लेकर जाते हैं और न लाने देते हैं। कारण, बेजुबान पशु-पक्षी परेशान होते हैं।
ओढ़ावणी -मृत्युभोज बंद: 15 साल से ओढ़ावणी-मृत्युभोज बंद है। केवल गंगाप्रसादी करते हैं।
शराबबंदी : गांव की कांकड़ 14 किलोमीटर तक फैली है और यहां एक भी शराब का ठेका नहीं है।
पटाखे नहीं बजाते : होली पर रंग और दीपावली पर पटाखे भी यहां के लोग शगुन के तौर पर ही बजाते हैं।
शोभराज के बेटे इंद्रसिंह ने नागौर के इस गांव को सन् १३५८ में बसाया था। यहां १२ खेड़ो में १२ जातियों रहती थी।सब को मिलकर ईनाणा बनाया। गांव का यह नाम इंद्रसिंह के नाम पर रखा गया। तभी से लोग अपनी जाति की जगह ईनाणिया ही लिखते हैं।
लोग कहते है इंद्रसिंह के दो भाई थे दोनों गौ रक्षक थे। जिसमें से एक हरुहरपाल गायों की रक्षा में शहीद हो गए थे। जिन्हें गांव में कुलदेवता के रूप में पुजा जाता है।
इस गांव में ब्राह्मण, जाट,खाती,महाजन, कुम्हार, गोस्वामी,तेली, मेघवाल,नायक और लोहार आदि जातियां हैं सभी अपने नाम के साथ ईनाणियां ही लगाते हैं।
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