What is Fundamental Analysis? — Complete Guide for Traders & Investors (2026)

Fundamental Analysis

यह आर्टिकल्स  Fundamental Analysis (मौलिक विश्लेषण) की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है, जो किसी कंपनी, शेयर, या मुद्रा की वास्तविक कीमत का आकलन करने की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। मौलिक विश्लेषण के माध्यम से निवेशक किसी व्यवसाय की आंतरिक ताकत, उसकी वित्तीय स्थिति, प्रबंधन, लाभ, राजस्व, संपत्ति, और भविष्य की संभावनाओं का गहन अध्ययन करते हैं। इस विश्लेषण का उद्देश्य यह तय करना होता है कि कोई स्टॉक या संपत्ति अपने वास्तविक मूल्य से अधिक मूल्यांकित (Overvalued) है या कम मूल्यांकित (Undervalued)।

फंडामेंटल एनालिसिस दो प्रकार का होता है – क्वांटिटेटिव एनालिसिस (संख्यात्मक डेटा पर आधारित) और क्वालिटेटिव एनालिसिस (प्रबंधन, ब्रांड वैल्यू, प्रतिस्पर्धा जैसे गुणात्मक पहलू)। इन दोनों के संयोजन से निवेशक सही निवेश निर्णय ले सकते हैं। यह विश्लेषण दीर्घकालिक निवेश के लिए सबसे अधिक उपयोगी माना जाता है क्योंकि यह बाजार की अस्थिरता से ऊपर उठकर किसी कंपनी की वास्तविक स्थिति का अनुमान लगाने में मदद करता है।

What is Fundamental Analysis? — Complete Guide for Traders & Investors (2026)

What is Fundamental Analysis? — Complete Guide for Traders & Investors (2026)

Category: Finance & Trading | Updated: October 2025

Introduction — Overview of Fundamental Analysis.

फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी वित्तीय संपत्ति (जैसे शेयर, करेंसी, या कमोडिटी) की वास्तविक या आंतरिक कीमत (Intrinsic Value) का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें अर्थव्यवस्था, कंपनी के वित्तीय आंकड़े, नीतियाँ, और बाजार की परिस्थितियों जैसे कारकों का अध्ययन शामिल होता है। इसका उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि कोई एसेट “Overvalued” है या “Undervalued”।

Why Fundamental Analysis Matters.

यह विश्लेषण निवेशक और ट्रेडर को बाजार की गहराई से समझ देता है। निवेशक दीर्घकालिक रिटर्न के लिए इसका उपयोग करते हैं जबकि ट्रेडर इसे आर्थिक समाचारों और नीतिगत घोषणाओं के प्रभाव का विश्लेषण करने के लिए प्रयोग करते हैं। फंडामेंटल एनालिसिस बाजार की दिशा (Direction) को समझने में मदद करता है, जबकि टेक्निकल एनालिसिस एंट्री और एग्जिट पॉइंट बताता है।

Core Elements of Fundamental Analysis

1. मैक्रोइकॉनॉमिक इंडिकेटर्स (Macroeconomic Indicators)

  • GDP (सकल घरेलू उत्पाद): देश की कुल आर्थिक प्रगति को दर्शाता है।
  • महंगाई दर (Inflation): वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से मुद्रा की क्रय शक्ति घटती है।
  • बेरोजगारी दर: श्रम बाजार की स्थिति और उपभोक्ता मांग का संकेत देती है।
  • औद्योगिक उत्पादन व खुदरा बिक्री: अर्थव्यवस्था में मांग और उत्पादन स्तर का आकलन।
  • विदेशी व्यापार संतुलन: आयात-निर्यात के अनुपात से करेंसी पर प्रभाव पड़ता है।

2. मौद्रिक नीति (Monetary Policy)

केंद्रीय बैंक (जैसे RBI, Federal Reserve) ब्याज दरें और धन आपूर्ति नियंत्रित करते हैं। ब्याज दर बढ़ने पर विदेशी निवेश आकर्षित होता है और करेंसी मजबूत होती है। वहीं दर घटने पर बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है।

3. राजकोषीय नीति (Fiscal Policy)

सरकार का खर्च और टैक्स नीति अर्थव्यवस्था को सीधे प्रभावित करती है। यदि सरकार खर्च बढ़ाती है तो मांग और महंगाई बढ़ती है, जबकि टैक्स बढ़ाने से विकास धीमा हो सकता है।

4. कॉर्पोरेट फंडामेंटल्स (Corporate Fundamentals)

कंपनियों के शेयर का मूल्यांकन करते समय निम्न बातों का अध्ययन किया जाता है:

  • राजस्व (Revenue) और लाभ (Profit) वृद्धि
  • EPS, ROE, ROA जैसे अनुपात
  • ऋण-से-इक्विटी अनुपात, नकदी प्रवाह (Cash Flow)
  • प्रबंधन गुणवत्ता और बाजार में प्रतिस्पर्धा

5. राजनीतिक व भू-राजनीतिक प्रभाव (Geopolitical Factors)

चुनाव, युद्ध, नीतिगत बदलाव, और व्यापार समझौते बाजार को प्रभावित करते हैं। ऐसी घटनाएं करेंसी, शेयर और कमोडिटी की दिशा बदल सकती हैं।

How Fundamental Analysis Is Performed — Tools & Techniques

  • आर्थिक कैलेंडर से डेटा रिलीज़ को ट्रैक करें।
  • वित्तीय विवरण (Financial Statements) का अध्ययन करें।
  • रेशियो एनालिसिस (P/E, P/B, EV/EBITDA) करें।
  • DCF (Discounted Cash Flow) मॉडल द्वारा आंतरिक मूल्य निकालें।
  • उद्योग और प्रतिद्वंद्वियों से तुलना करें।

Timeframes: Short-Term vs Long-Term Use

Strengths

  • किसी एसेट का वास्तविक मूल्य जानने में मदद।
  • लॉन्ग टर्म निवेश के लिए सही दिशा प्रदान करता है।
  • जोखिम प्रबंधन में सहायक।

Limitations

  • डेटा लेट या अपूर्ण हो सकता है।
  • शॉर्ट टर्म में सेंटिमेंट और तकनीकी फैक्टर ज्यादा प्रभाव डालते हैं।
  • DCF जैसे मॉडल मान्यताओं पर आधारित होते हैं।

Combining Fundamental and Technical Analysis

कई प्रोफेशनल ट्रेडर दोनों विश्लेषण को मिलाकर प्रयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी करेंसी का फंडामेंटल मजबूत है (ब्याज दर बढ़ने से), तो टेक्निकल चार्ट पर ब्रेकआउट का इंतज़ार कर एंट्री ली जा सकती है।

Example: How Interest Rate Hikes Affect Markets

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अगर केंद्रीय बैंक ब्याज दर बढ़ाता है, तो विदेशी निवेश आकर्षित होता है जिससे करेंसी की वैल्यू बढ़ती है। दूसरी ओर, हाई रेट से लोन महंगे हो जाते हैं जिससे शेयर मार्केट पर दबाव आता है।

Conclusion

फंडामेंटल एनालिसिस बाजार के वास्तविक कारणों को समझने का सबसे प्रभावी तरीका है। यह निवेशक को सूचित निर्णय लेने और जोखिम प्रबंधन में मदद करता है। जब इसे टेक्निकल एनालिसिस और सेंटिमेंट एनालिसिस के साथ मिलाकर प्रयोग किया जाए, तो परिणाम और भी सटीक मिलते हैं।

FAQ

प्रश्न 1: क्या फंडामेंटल एनालिसिस टेक्निकल एनालिसिस से बेहतर है?

उत्तर: दोनों का उद्देश्य अलग है। फंडामेंटल एनालिसिस मूल्य और दिशा समझने में मदद करता है, जबकि टेक्निकल एनालिसिस एंट्री और एग्जिट पॉइंट बताता है। दोनों का संयोजन श्रेष्ठ है।

प्रश्न 2: क्या डे ट्रेडिंग में फंडामेंटल एनालिसिस उपयोगी है?

उत्तर: हाँ, विशेषकर जब आर्थिक रिपोर्ट या नीतिगत घोषणाएं बाजार में अस्थिरता पैदा करती हैं।

प्रश्न 3: फंडामेंटल एनालिसिस के लिए कौन से टूल उपयोगी हैं?

उत्तर: आर्थिक कैलेंडर (जैसे ForexFactory), कंपनी रिपोर्ट्स, ब्लूमबर्ग, रॉयटर्स, और केंद्रीय बैंक की नीतिगत रिपोर्टें।

Author: Ramesh Kumar Dudi | This article is written for educational investment purposes.

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