हनुमान बेनीवाल की जीवनी | Hanuman Beniwal Of Biography(RLP)

हनुमान बेनीवाल: किसान से संसद तक का सफर।

हनुमान बेनीवाल1. प्रस्तावना (भूमिका)

राजस्थान की राजनीति में कुछ नेता ऐसे हैं जिन्होंने जनता के बीच से निकलकर अपनी एक खास पहचान बनाई। उन्हीं में से एक हैं हनुमान बेनीवाल – एक जमीनी नेता, संघर्षशील व्यक्तित्व और युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत।
वे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (Rashtriya Loktantrik Party – RLP) के संस्थापक और राजस्थान के नागौर से लोकसभा सांसद हैं।

हनुमान बेनीवाल को उनके स्पष्टवादी रवैये, युवा जोश, किसान हितैषी सोच, और भाजपा व कांग्रेस दोनों के विरोधी स्वरूप के लिए जाना जाता है।


2. प्रारंभिक जीवन

हनुमान बेनीवाल का जन्म 2 मार्च 1972 को राजस्थान के नागौर जिले के एक छोटे से गाँव बरसिंहसर में हुआ था।
उनका परिवार एक सामान्य किसान परिवार था। उनके पिता रामदेव बेनीवाल एक जाने-माने नेता और राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके थे।

परिवार:

  • पिता: रामदेव बेनीवाल (पूर्व विधायक, भाजपा नेता)

  • माता: गृहिणी

  • भाई: नारायण बेनीवाल (विधायक, कुचामन)

  • पत्नी: संतोष बेनीवाल

  • बच्चे: दो

बचपन से ही हनुमान बेनीवाल को कृषि, ग्राम्य जीवन, और राजनीति में गहरी रुचि थी।


3. शिक्षा

हनुमान बेनीवाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नागौर जिले से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर (JNVU) से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।

प्रमुख शैक्षणिक योग्यता:

  • स्नातक (बी.ए.)

  • एलएलबी (कानून)

  • राजनीति शास्त्र में विशेष रुचि

कॉलेज के दौरान ही उन्होंने छात्र राजनीति में भाग लेना शुरू किया और छात्रसंघ के चुनावों में जीत हासिल की।


4. छात्र राजनीति से शुरुआत

हनुमान बेनीवाल की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत छात्रसंघ से हुई। उन्होंने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में छात्रसंघ अध्यक्ष के पद पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
उनकी भाषण कला, आक्रामकता, और संगठनात्मक क्षमता ने उन्हें छात्र राजनीति में लोकप्रिय बना दिया।


5. भाजपा से पहला कदम

हनुमान बेनीवाल ने अपने सक्रिय राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी (BJP) से की थी।
उनके पिता रामदेव बेनीवाल भी भाजपा से विधायक रह चुके थे। इसलिए हनुमान भी उसी पार्टी से जुड़े।

2008 में पहला चुनाव:

  • उन्होंने खींवसर विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बने।

  • वे जल्द ही भाजपा में युवा और तेजतर्रार नेता के रूप में उभरे।


6. भाजपा से मतभेद और निष्कासन

भाजपा में रहते हुए हनुमान बेनीवाल ने कई बार पार्टी की नीतियों और नेताओं की खुलकर आलोचना की।
विशेषकर भ्रष्टाचार, किसानों की उपेक्षा, और नौजवानों के मुद्दों पर वे लगातार पार्टी लाइन से हटकर बोलते रहे।

नतीजा:

  • 2011 में भाजपा ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया

  • इसके बाद उन्होंने स्वतंत्र विधायक के रूप में काम करना शुरू किया।


7. स्वतंत्र विधायक और जन आंदोलन

भाजपा से निष्कासन के बाद हनुमान बेनीवाल ने जनता के बीच जाकर जनसंपर्क शुरू किया।
उन्होंने “जन क्रांति यात्रा” निकाली और हर जिले में जाकर लोगों से संवाद किया।

उनका मुख्य एजेंडा था:

  • किसान आंदोलन

  • नौजवानों के लिए रोजगार

  • भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान

उनकी सादगी, आक्रामक भाषण शैली और संघर्षशील छवि ने उन्हें युवाओं में बेहद लोकप्रिय बना दिया।


8. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) की स्थापना

2018 में हनुमान बेनीवाल ने राजस्थान की दोनों प्रमुख पार्टियों – भाजपा और कांग्रेस – के खिलाफ एक वैकल्पिक विकल्प देने की बात कहते हुए राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) की स्थापना की।

29 अक्टूबर 2018 को नागौर में विशाल रैली:

  • इसी रैली में RLP की औपचारिक घोषणा की गई।

  • हजारों की संख्या में लोग उपस्थित थे।

  • नारायण बेनीवाल (छोटे भाई) भी पार्टी में सक्रिय हो गए।

RLP का उद्देश्य:

  • किसानों, युवाओं, पिछड़ों और गरीबों के हक के लिए संघर्ष

  • जातिवाद, भ्रष्टाचार और खानदानी राजनीति का विरोध


9. 2018 विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन

RLP ने 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में 11 सीटों पर चुनाव लड़ा

नतीजे:

  • हनुमान बेनीवाल: खींवसर से फिर जीते

  • नारायण बेनीवाल: कुचामन से विधायक बने

  • कुछ सीटों पर पार्टी दूसरे स्थान पर रही

यह छोटी सी पार्टी राजस्थान में “किंगमेकर” की भूमिका में आ गई और बेनीवाल की छवि और मजबूत हुई।


10. 2019 लोकसभा चुनाव और भाजपा के साथ गठबंधन

2019 के लोकसभा चुनाव में RLP ने नागौर लोकसभा सीट से हनुमान बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया
भाजपा और RLP के बीच गठबंधन हुआ, और बेनीवाल को एनडीए प्रत्याशी घोषित किया गया।

परिणाम:

  • हनुमान बेनीवाल ने 93000+ वोटों से जीत दर्ज की

  • उन्होंने कांग्रेस की जानी-मानी नेता ज्योति मिर्धा को हराया।

इस जीत ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिलाई।


11. संसद में सक्रियता और मुद्दे

सांसद बनने के बाद हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में कई मुद्दे उठाए:

प्रमुख मुद्दे:

  • किसानों की एमएसपी पर गारंटी कानून की मांग

  • नौजवानों के लिए रोजगार की नीति

  • राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा

  • आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा

  • निजीकरण के खिलाफ आवाज


12. किसान आंदोलन में भूमिका

2020-21 के किसान आंदोलन में हनुमान बेनीवाल ने खुलकर कृषि कानूनों का विरोध किया और एनडीए से बाहर हो गए

उन्होंने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर और शाहजहांपुर बॉर्डर पर जाकर किसानों को समर्थन दिया।

उनका यह निर्णय जनहित के लिए गठबंधन तोड़ने का प्रतीक बन गया।


13. विचारधारा और दृष्टिकोण

हनुमान बेनीवाल की राजनीति जन आंदोलन आधारित, कृषि-केंद्रित और युवाओं पर केंद्रित है।

वे मानते हैं:

  • राजनीति का मकसद सत्ता नहीं, सेवा होनी चाहिए।

  • जातिगत राजनीति से बाहर निकलना जरूरी है।

  • क्षेत्रीय पार्टियाँ ही असली स्थानीय मुद्दों को उठा सकती हैं।


14. विवाद

उनकी खुली भाषा और आक्रामक तेवर अक्सर विवादों को जन्म देते हैं।

प्रमुख विवाद:

  • भाजपा और कांग्रेस नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप

  • सीधा नाम लेकर बड़े नेताओं की आलोचना

  • अन्ना हजारे आंदोलन के समर्थन में पुलिस से टकराव

लेकिन इन विवादों ने ही उनकी “बोलने वाले नेता” की छवि बनाई।


15. सामाजिक कार्य और संगठन

RLP के माध्यम से वे समाज सेवा के कई कार्यों में लगे हैं:

  • गरीब बेटियों की शादी करवाना

  • किसान सहायता शिविर

  • बेरोजगारी विरोधी मार्च

  • सरकारी नौकरी में आरक्षण की मांग


16. हनुमान बेनीवाल और युवा पीढ़ी

हनुमान बेनीवाल युवाओं में बेहद लोकप्रिय हैं। कॉलेज, कोचिंग, और प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के बीच उनका खास प्रभाव है।

वे रोजगार, शिक्षा और सरकारी परीक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देते हैं।


17. व्यक्तिगत जीवन

हनुमान बेनीवाल बेहद सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं।
वे हमेशा धोती-कुर्ता पहनते हैं और निजी सुरक्षा से अधिक जनता के भरोसे को महत्व देते हैं।

आदतें:

  • सुबह जल्दी उठना

  • रोज़ अखबार पढ़ना

  • जनसंपर्क और फोन कॉल्स का स्वयं जवाब देना


18. भविष्य की योजना

हनुमान बेनीवाल की योजना है कि RLP को राजस्थान की सबसे बड़ी क्षेत्रीय पार्टी बनाया जाए।
वे आने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस दोनों के विकल्प के रूप में खुद को प्रस्तुत करने की कोशिश में हैं।


19. निष्कर्ष

हनुमान बेनीवाल आज के दौर के वैकल्पिक राजनीति के प्रतीक बन चुके हैं।
वे न सत्ता के भूखे हैं, न ही दिखावे के शौकीन।
उनकी राजनीति मुद्दों पर आधारित है – खासकर किसान, युवा, और ग्रामीण भारत पर।

वे ऐसे नेता हैं जिनकी बातों में जनता अपना दर्द महसूस करती है।


🔚 समाप्ति

हनुमान बेनीवाल की कहानी यह दर्शाती है कि ईमानदारी, संघर्ष और जनता का विश्वास हो तो कोई भी सामान्य किसान परिवार का युवा एक प्रभावशाली नेता बन सकता है।

 

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